तपिश में देर तलक तड़पे तेरी दीद को,
फिर लाए हैं वादा-ए-वफ़ा तजदीद को!
चाँद बन कर जो आए सर-ए-बाम तुम,
और चाँद लग गए हैं मेरी ईद को!
इक बुत से फिर उम्मीद है इक शाम की,
ये क्या हो गया है मेरी उम्मीद को!
जिबह होना तो बकरे की तकदीर है,
अम्मा खैर क्या मनाएगी बकरीद को!
जब से सिर पर चढ़ा है, बड़ा सरचढ़ा है,
दिन ढले डूबना है फिर खुर्शीद को!
_________________________
तपिश: Heat | दीद: Seeing | तजदीद: Renewal | खुर्शीद: Sun