साल बदला है तो आपको हो साल मुबारक,
हाल बदला नहीं फिर भी बहरहाल मुबारक!
बीता जो साल आपको सालेगा सालों तक,
आया जो साल उसकी नई चाल मुबारक!
आम आदमी को दिल्ली की कुर्सी है मिल गई,
राजनीति में आया जो वो भूचाल मुबारक!
सत्ता के गलियारों में ईमान है उग आया,
स्थाई तो नहीं है पर फिलहाल, मुबारक!
नेता जी की चमड़ी तो दमड़ी से अलग है,
जनताजी को ये मोटी होती खाल मुबारक!
तुम्हें अन्ना के दुधमुंहें सपनों की कसम है,
तगड़ा ना है, लंगड़ा है पर लोकपाल मुबारक!
एक बाबा के सपने ने हमरी नींद उड़ा दी,
खुदाई में जो मिला नहीं वो माल मुबारक!
शिकारी आएगा जाल बिछाएगा दाना डालेगा,
रट रट के जो फंसते हैं उन्हें जाल मुबारक!
रहने को तो हम साथ ही रहते थे, रहेंगे,
दरकार है हर पंछी को इक डाल मुबारक!
ठण्ड है प्रचंड और पीड़ित को मिले दंड,
इस कदर घमंड, भई, कमाल! मुबारक!
दिल तो मुज़फ्फरनगर का रिलीफ कैम्प है,
सुबह टूटेगा पर अभी शब-ए-विसाल मुबारक!
जो सैफई में सेफ है उस वोटबैंक की कसम,
बिलखते बच्चों कों आइटम-ए-पामाल मुबारक!
सावन के अंधों को हरित क्रान्ति से क्या,
ये पीला है, नीला है या है लाल, मुबारक!
जो दिखलाते रहते हैं हर इक को आइना,
उन आइनादारों को तेजपाल मुबारक!
अलाई खा गए मलाई और हम देखते रहे,
कांग्रेस को रह गया है बस मलाल मुबारक!
हेमा के गाल वाली सड़कों को दी उपमा,
बहुत बजाते हैं जो लोग उन्हें गाल मुबारक!
लायक नहीं हैं इसके पर अमला है, बंगला है,
गधों को मिल गया है जो घुड़साल मुबारक!
क्रिकेट का बुखार तो उतरेगा ना कभी,
इस साल वर्ल्ड कप है तो फ़ुटबाल मुबारक!
समानता उपलब्धता पर इस हद तक है निर्भर,
है घर की मुर्गियों को भी अब दाल मुबारक!
रूपए और डॉलर में क्यों बनती नहीं कभी,
हमको भी हो करेंसी में इक उछाल मुबारक!
वादों की लड़ी बन रही है पार्टी दफ्तर में,
गंजों को मिल सकते हैं कुछ बाल मुबारक!
चौदह में फैसला है इस पार कि उस पार,
तब तक आप सब को केजरीवाल मुबारक!