ज्यों चले काम, अपना काम चलाते रहिए,
खाते रहने के लिए कुछ उनको खिलाते रहिए!
ले-दे के निपट जाए तो हर काम है अच्छा,
ना बने बात तो फिर बात बनाते रहिए!
बिलखते बच्चे के लिए दूध भी नसीब कहाँ,
जम्हूरियत के पालने को हिलाते रहिए!
धूप की धार बड़ी तेज है, लंबा है सफर,
चलिए खुर्शीद को फिर खून पिलाते रहिए!
मर-मर के बनाई है ये मरमर की इमारत,
जो हो सके तो उसमें झाड़ू लगाते रहिए!
जो गुना भाग है अंदर ही अंदर मत गुनिए,
कुछ हमरी सुनिए कुछ हमको सुनाते रहिए!
सबको मालूम है जन्नत की हकीकत लेकिन,
चचा ग़ालिब की तरह दिल को बहलाते रहिए!