यकीन है कि वो है, वो ना है तो भी,
सबूत क्यों चाहिए, आइना ना दिखाइए
आँख पर विश्वास की पट्टी पहिरा दीजिए,
अँधेरा धर्म है, नियति है सिखाइए!
भूकंप, सुनामी, युद्ध, सब आपदाएं,
लाखों मरते हैं, मार दिए जाते हैं,
कर्मों का फल है ये तो हताहत के आंकड़ों में बच्चे क्यों शामिल हैं
पिछले जनम का हिसाब है तो पिछले जनम में भी तो मरे होंगे
अगले जनम का एडवांस है तो अगले में भी तो मरेंगे
वो है तो कैसा क्रूर है निर्दयी,
छीन लेता है माँ से बेटे को,
बेटी से माँ को, मांग से सिन्दूर,
रेगिस्तान से वृष्टि, आँख से दृष्टि,
रौशनी होगी तो दिख जाएगा,
दुनिया को कौन चलाता है,
लोग चलाते हैं मशीनें, तोड़ते हैं पर्वत,
चीरते हैं आसमान और बांधते हैं नदियाँ,
पर लोग श्रेय लेना नहीं चाहते,
इसलिए लोग रौशनी से डरते हैं!
सदियों के अँधेरे हैं, सदियाँ लगेंगी जाने में