पानी भीतर प्यासी दुखिया
भुख्या से तो अंतड़ी सुख्या
उड़नखटोले बैठे मुखिया
गुण शुन्ना और नाम बहुगुणा
तुन्ना तुन्ना तक तक तुन्ना!
रुद्रनाथ का रूप प्रचंड है
मानुष को फिर भी घमंड है
प्रश्न अखंड औ उत्तर खंड है
धरती को लग गया रे घुन्ना
तुन्ना तुन्ना तक तक तुन्ना!
राजनीति की हांड में तप के
फेंकू फेंके तो पप्पू लपके
रिस के रिलीफ अगर जो टपके
मिले मलाई चाट ले मुन्ना
तुन्ना तुन्ना तक तक तुन्ना!
जिनको ये लागी लगत हैं
जग सोवत औ हमीं जगत हैं
जड़ भगत, चेतन भगत हैं
जनता को तो लगत हैं चुन्ना
तुन्ना तुन्ना तक तक तुन्ना!
Too Good!