सवाल उठता है ये ही ज़हन-ए-पब्लिक मा,
कि ई केला कहाँ से आ गया रिपब्लिक मा!
जो दंगा कर रहे उनसे कोई भिड़ता ही नहीं,
जो दंगा-पीड़ित है उसी को खेंचो झिकझिक मा!
एक ही शॉट में कानून को फुटबाल कीहिश,
गज़ब के दम है अम्मा तोहरे ई किक मा!
चाल मगरिब के तुम देख के क्यों हैरां हउ,
हाल देख लियौ होई यही मशरिक मा!
कर के देखा है जतन हमने वतन खातिर भी
ईमान मुलुक मा है पर नहीं है मालिक मा!
कैसे आएं अगर आएं भी तोहरे महफ़िल में,
हज़ार छेद हुआ पैरहन-ए-आशिक मा!