काश तुम देख पाते करोड़ों हाथ
पढ़ पाते लाखों चेहरे,
चेहरों पर आंसुओं की पंक्तियां को
तमतमाते क्रोध के पीछे की याचना
तुम्हारे लिए इंसाफ़ मांग रहे नारों के पीछे
सब मांग रहे हैं तुमसे भीख
हमें माफ़ी दे दो
पुत्रम् देहि की प्रार्थना से लेकर,
पुत्रवती भव के आशीर्वाद तक,
तुम्हारे जन्मते ही माथे पर लकीरों का संचय
तुम्हारे दहेज के लिए धन का
और तुम्हें पराया धन की संज्ञा देना,
हर परंपरा की विकृति का
संज्ञान नहीं लेने के लिए
हमें क्षमा करना बेटी
पहली बार तुम्हें चौक पर
भीड़ में पिसते देख आंख बचाने के लिए
फिर ख़ुद को यह कहने के लिए
कि कौन लड़ता उन गुंडों से
आस-पास राक्षस पलते रहे हम चुप रहे
हम बोले तो दबी जबान में बोले
तुम्हारे बोलने को अनसुना करने के लिए
और इसलिए भी कि हम ने
आज तक माफ़ी तक नहीं मांगी तुमसे
हमें माफ़ कर देना बहन।
तुम्हारी मौत पर सियासत करते हैं
उन निर्लज्जों को भी, जिनके मुंह से
क्षमा याचना नहीं निकलेगी कभी
उनको भी जिन्होंने
तुम्हारी पीड़ा को नक़ली नाम दिया
जिससे वह दर्द दामिनी की अमानत रहे
और भय इतना कि तुम्हें निर्भया कहा
जबकि तुम्हारा नाम था एक।
और है भी
नारी
हमें क्षमा करना