दीपावली की रात की सुबह नहीं होती
दिन होता है
जब रात की चुंधियाई आँखें
उबासियाँ लेकर खुलती हैं
और घर के सामने सड़क पर
युद्धक्षेत्र का आभास होता है
रात के अनार औंधे पड़े देखते हैं
लड़ियों ने जल कर कैसे फूल की
पखुडियाँ बिखेरी हैं
सड़क के आवारा कुत्ते
जो ना जाने कहाँ गायब रहे सारी रात
दबे पाँव सूंघते हैं घटनास्थल को
ज़्यादातर घरों में रौशनी की कतारें
आखिरी घड़ी की तरह जलती-बुझती
रात का धुंआ छत से ठीक ऊपर
चादर बन सूरज से कहता कि
थोड़ी देर बाद आना, घर में सब सो रहे हैं
गेंदे की गंध में घी मिलाया है रात ने
और चासनी सी तैर रही है,
ड्राइंग रूम में रखे कृत्रिम फूलों को मुंह चिढाती
इन गेंदों को बहते पानी में जाना है
जल्द ही
सारे सबूत आज मिटाए जाएंगे
अपने बालों से बारूद की बू
पटाखे के दुकान की रसीद
सेंटर टेबल के नीचे की खाली बोतलें
और किचन के सिंक में बर्तनों का पहाड़
रहेगी तो बस दरवाज़े पर रंगोली
जब तक रहे,
शुभ दीपावली का चाइनीज़ झालर
जब तक टिके!
Morning After
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