हमको तुमने दुश्मन जाना, छोड़ो यार!
तुमको कौनसा था याराना, छोड़ो यार!
हो सकता है होना ही इक सपना हो,
जो था वो था भी या था ना छोड़ो यार!
लाख कहा पर पाल लिया आस्तीनों में,
उन साँपों को दूध पिलाना छोड़ो यार!
किसने कहा था रह-ए-इश्क आसां होगी,
बीच रास्ते स्यापा पाना छोड़ो यार!
अहद-ए-मुहब्बत अहल-ए-वफ़ा की बाते हैं,
भैंस के आगे बीन बजाना छोड़ो यार!
खुद को तो तुम रत्ती भर ना बदल सके,
बदलेगा क्या खाक ज़माना, छोड़ो यार!
कतरे-कतरे से तुम हमरे वाकिफ़ हो,
महफ़िल में हमसे कतराना छोड़ो यार!
रौनक-ए-बज़्म-ए-रिन्दां थी चश्म-ए-साकी,
बिन उसके क्या है मयखाना, छोड़ो यार!
पैंसठ साल से राह तकत है इक बुढ़िया,
वादों से उसको बहलाना छोड़ो यार!
चाहें भी तो कैसे भूलें ज़ख़्म सभी,
तुम तो उनपर नमक लगाना छोड़ो यार!
आँख-लगे को रात जगाना छोड़ो यार,
सपनों में यूं आना जाना छोड़ो यार!
Sir good.
i like the mix of punjabiyat …syape paana .