बोलने का हक तो है, आवाज़ पे पाबंदी है!
मिज़ाज ये है कि मजाज़ पे पाबंदी है!
हम को मालूम है किस्से का अंजाम मगर,
इन्तेहाँ ये है कि आगाज़ पे पाबंदी है!
हाल-ए-दिल कह भी दें तो किस से कहें,
हमराज़ हैं बहुत, पर राज़ पे पाबंदी है!
हुस्न तो खूब इलाही ने उसे बख्शा है,
शोखी-ए-हुस्न को बस नाज़ पे पाबंदी है!
पर सलामत हैं मेरे, हौसला भी कायम है,
गर इजाज़त ना हो परवाज़ पे पाबंदी है!
ग़ालिबन और थे अंदाज़-ए-बयां ग़ालिब के,
सुर मिलाना है, सो अंदाज़ पे पाबंदी है!
शुक्र है कि अभी तक इंटरनेट पर नहीं पाबंदी है।
Wah wah. Great. How true. Kya Pabandi hai.