वो पूछते हैं कि क्यों चुप हूँ मैं, हुआ क्या है?
वजह गर जानता तो बता देता कि क्या क्या है!
तुम्हें गरज है फिर तर्क-ए-तआल्लुक ही सही,
हमें हरज है मगर इसमें हमारा क्या है?
वतन आज़ाद हुआ तो कौन सा आबाद हुआ,
वतन-परस्ती का आज़ादी से रिश्ता क्या है?
ख्वाम्खाह तोड़ गए सारे मरासिम हम से,
यही है रस्म तो फिर दिल का तोड़ना क्या है?
सुबह-ए-फिराक है जागें भी तो क्योंकर जागें
सोहबत-ए-शब की सिलवटों में रखा क्या है?
मैं तो इक रात को ताउम्र ओढ़े बैठा हूँ,
तुम्हारे चेहरे पे बरसों का ये पर्दा क्या है?
लगी जो आग तो सब जल गया बचा क्या है
अगर जिंदा है जुस्तजू तो फिर जला क्या है?
लगी जो आग तो सब जल गया बचा क्या है
अगर जिंदा है जुस्तजू तो फिर जला क्या है?
लाजवाब